यादें और सद्जीवन
आज दिनांक
यादें और सद्जीवन
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सभी पुरानी यादें ले कर नव-वर्ष भी आया था,
कुछ पुरानी यादों ने हमको बहुत रुलाया था।
मग़र यादों को एक तरफ़ रख हमने माता का ध्यान किया,
माता ने ही हमेशा हमको नवल प्रेरणा और ज्ञान दिया।
नयी स्फ़ूर्ति ,नया साहस और नया जोश प्रवाहित होता है
मां का नाम जब आता लबों पर कोई दुख दिल मे न रहता है।
बहुत दिनो तक चुप बैठ कर हम धैर्य खो बैठे थे,
न था कोई उत्साह हृदय में हम हतोत्साहित हो रहते थे।
दोस्तों से भी मिलना-जुलना हम ने अचानक छोड़ दिया,
अजब हाल था हुआ हमारा जैंसे जीवन ज़ीना छोड़ दिया।
यादों का अपना महत्व है मग़र ज़िन्दगी जरूरी है,
दुख-सुख को एक तरफ़ रख आगे बढ़ना जरूरी है।
जब तक सांसों मे सांस है तब तक ज़िन्दा रहना है,
ज़िन्दगी को पूरे तन-मन से जीवन्त सभी को रखना है।
न चुप रह कर काटो जीवन,न आंसू रोज़ बहाने हैं,
ख़ुश रह कर के खुशियां बांटो यही सद्जीवन के पैमाने हैं।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
नंदिता राय
21-Jan-2024 11:41 PM
V nice
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Rupesh Kumar
21-Jan-2024 05:21 PM
Nice one
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Khushbu
18-Jan-2024 05:22 PM
Very nice
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